Two Stroke Petrol Engine
( टू - स्ट्रोक पेट्रोल इंजन )
1. Upward Stroke ( अपवार्ड स्ट्रोक )
- अपवार्ड स्ट्रोक मे पिस्टन BDC से ऊपर की तरफ TDC तक जाता है
- इसी स्ट्रोक मे सिलिन्डर से अंदर Transfer Port से आया हुआ चार्ज को कम्बस्चन चेम्बर मे संपीडित (Compress) होता है
- पिस्टन के अपवार्ड मूवमेंट के कारण क्रैंककेस मे निर्वात (Vaccum) बढ़ता है जिससे इनलेट पोर्ट मे फ्रेश चार्ज (fresh charge ) क्रैंककेस मे आता है
- पिस्टन जब TDC पर रहता है तो इग्ज़ॉस्ट पोर्ट और ट्रांसफर पोर्ट दोनों बंद रहता है
- इस स्ट्रोक मे Suction और Compression दोनों स्ट्रोक होता है
- इस स्ट्रोक मे इनलेट पोर्ट से फ्यूल और वायु का मिश्रण क्रैंककेस मे जाता है और क्रैंककेस से कम्बस्चन चेम्बर मे जाता है |
2. Downward Stroke ( डाउनवार्ड स्ट्रोक )
- जब पिस्टन TDC पर पहुँच जाता है तो स्पार्क प्लग के द्वारा सपार्किंग होता है जिससे दहन चेम्बर मे संपीडित चार्ज ( Compressed Charge ) जलता है और दाब बढ़ता है |
- इसी स्ट्रोक मे पिस्टन को सकती मिलती है और वह downward stroke मे TDC से BDC तक जाता है |
- पिस्टन हेड पर जो डिफलेक्टर (Deflector) बना होता है उससे फ्रेस चार्ज टकराकर सिलिन्डर मे ऊपर की तरफ जाता है और जाली हुई गैसों को इग्ज़ॉस्ट पोर्ट की तरफ ढकेलता है
- इस स्ट्रोक मे इग्ज़ॉस्ट पोर्ट खुलता है और जाली हुई गैस बाहर निकलती है
- जब पिस्टन BDC पर आ जाता है तब पूरा सिलिन्डर फ्रेश चार्ज से भर जाता है , इस समय इग्ज़ॉस्ट पोर्ट खुला होने के कारण कुछ फ्रेश चार्ज उससे बाहर निकाल जाती है और कुछ जाली हुई गैस भी सिलिन्डर के अंदर ही रह जाती है |